श्रीनिवास रामानुजन | Srinivasa Ramanujan Biography in Hindi

श्रीनिवास रामानुजन | Srinivasa Ramanujan Biography in Hindi

Srinivasa Ramanujan Biography in Hindi: Maths का नाम सुनते ही अच्छे अच्छों की हवा निकल जाती है कई बच्चे तो अच्छे मार्क्स होने के बावजूद भी Maths के डर से 10th के बाद Science को अलविदा कह देते हैं और जो बच्चे अपने पैरेंट्स के दबाव में आकर Science ले लेते है तो सोचो जरा उन बच्चों की कितनी रातें उन्ही प्रॉब्लम को सॉल्व करते करते निकल गयी होंगी।

जबकि हम यहाँ पर Maths को लेकर इतने डर रहे हैं, वही 1 ऐसे इंसान भी थे जिनके लिए Maths उनके जीवन से बढ़कर था शायद अब तक आप सब को पता लग ही चूका होगा की मैं किसके बारे में बात कर रहा हूँ। yes, The man who know Infinity. हम बात कर रहे हैं श्रीनिवास रामानुजन के बारे में.

22 दिसम्बर 1887 श्रीनिवास रामानुजन का जन्म हुआ था, वो भी हमारे देश भारत वर्ष में। उन्होंने अपने जीवन काल में जितने भी इक्वेशनस दिए थे उनमें से कुछ इक्वेशंस को हम decode कर पाए हैं जबकि ज्यादातर इक्वेशंस मैथेमेटिशन आज भी decode करने में जुटे हैं और सबसे अचंभित करने वाली बात तो यह है कि जिस उम्र में हम सेटल होने के बारे में सोचते हैं बस उतनी सी उम्र में उन्होंने ये सारे equations की खोज की थी, क्यूंकी 26 अप्रैल 1920 में सिर्फ 32 साल की उम्र में वो दुनिया छोड़ कर जा चुके थे। डॉक्टर्स का कहना था उनकी मौत का कारण टयूबरक्यूलोसिस है जबकि उनके मौत का कारण कुछ और ही था।

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श्रीनिवास रामानुजन का जन्म Erode सिटी के एक गरीब ब्राम्हण परिवार में हुआ जो अभी तमिलनाडु में स्थित है रामानुजन को बचपन से ही Maths काफी पसंद थी जैसे जैसे वो बड़े होते गए Maths के ऊपर उनका आकर्षण और भी बढ़ता गया सिर्फ 11 साल की उम्र में वो इतना जान चुके थे की अपने साथ रहने वाले 2 कॉलेज स्टूडेंट्स को Maths solve करने में वो अक्सर हेल्प किया करते थे। इतनी छोटी सी उम्र में ही रामानुजन ज्योमेट्री और इन्फिनिटी सीरीज के बारे में काफी ज्ञान अर्जित कर चुके थे।

साल 1903 में रामानुजन को 1 बुक मिला a synopsis of elementary results in pure and applied mathematics जो G. S. Carr द्वारा लिखा गया था इस बुक में 5000 theorms थे, जिनको रामानुजन ने अच्छे से स्टडी किया था। कहा जाता है की इसी बुक के कारण रामानुजन के अंदर का टैलेंट उभर कर बाहर आया था। इतने छोटे उम्र में मैथेमेटिक्स में इतना ज्ञान होने के कारण उनके स्कूल के हेड मास्टर कृष्ण स्वामी अय्यर ने उन्हें, के रंगनाथ राव प्राइज से सम्मानित किया था ।

Maths के साथ साथ रामानुजन बाकी सारे सब्जेक्ट में भी अच्छे थे जिसके कारण उन्हें गवर्नमेंट आर्ट्स कॉलेज में पढ़ने के लिए स्कॉलरशिप भी मिलता था।
लेकिन बाद में उनका मैच में इंटरेस्ट इस कदर बढ़ गया था कि बाकी सब्जेक्ट्स के लिए उनके पास टाइम नहीं रहता था और इसी कारण से वो बाकी सब्जेक्ट्स में फेल होते गए और सरकार द्वारा दिए गए स्कॉलरशिप भी बंद हो गया। लेकिन यह बंदा हार मानने वालों में से नहीं था उन्होंने कॉलेज भले ही छोड़ दी थी लेकिन खुद Maths में रिसर्च करने लग गए। रामानुजन मद्रास पोर्ट ट्रस्ट में 30 रूपये पगार के हिसाब से क्लर्क का काम किया करते थे और वो इसी दौरान अपने काम को जल्द से जल्द निपटा के अपने रिसर्च के लिए ज्यादा से ज्यादा टाइम निकाला करते थे।

साल 1913 में रामानुजन ने अपने रिसर्च के काम को आगे बढ़ाने के लिए यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के एम जी एम हिल को अपना रिसर्च भेज दिया लेकिन हिल ने मना कर दिया क्यूंकि रामानुजन के पास मैच का नॉलेज होते हुए भी उनके पास एकेडमिक डिग्री और सर्टिफिकेट नहीं था जो 1 मैथेमेटिशन के पास होना चाहिए। लेकिन इससे भी रामानुजन का हौसला नहीं टूटा और उन्होंने Cambridge यूनिवर्सिटी के मैथेमेटिशन E. W. Hobson और H. F. Baker को अपना रिसर्च सेंड कर दिया। लेकिन इस बार बिना कुछ कहे उन्हें रिजेक्ट कर दिया गया। इसके बाद रामानुजन ने जी एच हार्डी को लेटर लिखा लेकिन इस बार पिछले 2 बार की तरह रामानुजन को निराश नहीं होना पड़ा इस बार हार्डी को रामानुजन का काम पसंद आ गया हार्डी ने अपने दोस्त लिटिल हूट के साथ मिलकर रामानुजन की रिसर्च को स्टडी किया और रामानुजन को तुरंत इंग्लैंड बुला लिया और इसके बाद रामानुजन 5 साल तक कैंब्रिज में रहे और 6 दिसम्बर 1917 में उन्हें मेंबर ऑफ लंदन मैथेमेटिकल सोसाइटी में सेलेक्ट कर लिया गया।

और फिर आता है 1919 जब रामानुजन की तबियत बिगड़ गयी जिसके पीछे 2 मुख्य कारण हैं। पहला तो वैसे ही इंग्लैंड में सब्जी ज्यादा नहीं मिलती है ऊपर से वो वेजिटेरियन थे और दूसरा कारण था तब सेकेंड वर्ल्ड वार चल रही थी जिसके कारण उस टाइम सब्जी मिलना काफी मुश्किल था। इसी तरह खाना ना मिलने के कारण वो पूरे दिन खाना नहीं खाते थे और ऐसे खाना न मिलने के कारण दिन ब दिन वो बीमार पड़ते गए और डॉक्टर ने कहा उन्हें टयूबरक्यूलोसिस हो गयी है इस के बाद साल 1919 में वो वापस इंडिया आ गए और फिर 26 अप्रैल 1920 को वो काला दिन आखिर आ ही गया जब वो दुनिया को अलविदा कह कर चले गए। लेकिन इस घटना के ठीक 74 साल बाद जब डॉक्टर डी ए बी यंग ने रामानुजन की रिपोर्ट को फिर से चेक किया तो पता चला उनकी देत टयूबरक्यूलोसिस के कारण नहीं बल्कि hepatic amoebiasis के कारण हुई थी। सबसे दुःख की बात तो यह है कि उस टाइम इस बीमारी का इलाज तो था मगर बीमारी को आइडेंटीफाई करना काफी मुश्किल था।

Srinivasa Ramanujan Biography in Hindi
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जब रामानुजन मौत के करीब थे तब भी उन्होंने रिसर्च करना नहीं छोड़ा था वो बिस्तर पर लेटे हुए ही अपना काम करते थे। अक्सर रामनुजन कहा करते थे उन्हें उनके गॉड Namagiri सपनों में आकर कई सारे Equations को हल करने में मदद करते थे और वो ये भी कहते थे की उनके सपनों में 1 दीवार आती है जिन पर 1 हाथ आकर अलग अलग टाइप के फार्मूले लिखा करते थे और रामानुजन नींद से उठ कर वो सारे फार्मूले नोट कर लेते थे। 1 बार रामानुजन ने चंद सेकेंड में 1 यूनिक नंबर की खोज कर ली थी और यह घटना तब घटी थी जब रामानुजन हॉस्पिटल में एडमिट थे और उन्हें देखने के लिए हार्डी हॉस्पिटल में पहुंचे लेकिन रामानुजन ने देखा हार्डी बहुत ही उदास दिख रहे हैं तो उन्होंने हार्डी से उदास होने का कारण पूछा तब हार्डी ने उन्हें बताया कि वो जिस टैक्सी हॉस्पिटल पहुंचे उसका नंबर1729 था जो उनके लिए अनलकी है तो रामानुजन थोड़ी देर सोचने के बाद हार्डी को बताया कि नंबर तो बहुत ही यूनिक और सबसे Smallest Natural नंबर है ये हमें तब मिलेगा जब हम 2 Cube को 2 अलग तरह से Sum करेंगे। नंबर1729 को हार्डी रामानुजन नंबर भी कहा जाता है। यह सब सुनने में तो बहुत आसान है पर सिर्फ 32 साल तक के इस छोटे से टाइम पीरियड में इतने सारे, इक्वेशंस फार्मूले आविष्कार करना कोई आसान काम नहीं ।

उससे भी बड़ी बात तो यह है कि यह काम 1 इंडियन ने कर दिखाया लेकिन दुःख तो तब लगता है जब हम इंडियन ही उन्हें उनका सम्मान देने से पीछे रह जाते हैं। जबकि 2015 में हॉलीवुड में उनके ऊपर 1 मूवी बनाया गया था जिसका नाम था the man who knew infinity

कई सारे मैथेमेटिशन का कहना है कि रामानुजन सारे इक्वेशन सॉल्व करना मुमकिन होता है तो आगे जाकर हमारे भविष्य की टेक्नोलॉजी में काफी मदद मिलेगा जैसे की लिमिटलेस फ्री एनर्जी, टाइम ट्रेवल, एंटी ग्रैविटी और भी बहुत कुछ।

Srinivasa Ramanujan Biography in Hindi: तो दोस्तों आज के लिए बस इतना ही, आशा करते हैं आज की हमारे इस आर्टिकल के जरिये आपको श्रीनिवास रामानुजन की करीब से जानने मैं मदत मिली होगी।

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