Information about Titanic in Hindi | Titanic Story in Hindi

एक ऐसा पानी वाला जहाज जिसके बारे में कहा जाता था कि कभी भी नहीं डूब सकता लेकिन यह अपने पहले सफर में ही डूब गया। जी है दोस्तों मैं बात कर रहा हूं ब्रिटिश पैसेंजर शिप टाइटैनिक के बारे में जिस की भव्यता तो देखते ही बनती थी, फुटबॉल के तीन मैदानों जितनी लंबाई 17 मंजिला इमारत जितनी ऊंचाई, और 3500 सौ से भी ज्यादा लोगों को एक बार में उनके मंजिलों तक पहुंचाने की क्षमता रखने वाली इस पानी वाले जहाज को 3000 लोगों ने दिन रात की कड़ी मेहनत करके पूरे 26 महीनों में तैयार किया, और जब यह बनकर तैयार हुआ तब इसको सिर्फ देखने के लिए ही लगभग 1 लाख लोग आए थे हालांकि अपने पहले सफर इंग्लैंड के साउथॅम्प्टन शहर से न्यूयॉर्क सिटी जाने के दौरान नार्थ अटलांटिक में यह विशाल जहाज डूब गई जिसमें कि पंद्रह सौ से भी ज्यादा लोगों की जानें चली गई और इस दुर्घटना को मानव इतिहास की अभी तक की सबसे खतरनाक दुर्घटनाओं में शामिल किया जाता है।

आज हम आपको टाइटैनिक के बनने से डूबने तक की पूरी कहानी बताने वाले है।

टाइटेनिक एक कहानी की शुरुआत होती है, 31 मार्च 1909 से जब वाइल्ड स्टार लाइन ने बेलफास्ट में दुनिया की सबसे विशाल और लग्जरी शिप बनाने की शुरुआत की और फिर 3000 लोगों ने दिन रात की कड़ी मेहनत के बाद सिर्फ 26 महीनों के अंदर ही जहाज को तैयार कर लिया और जब यह बनकर तैयार हुई तो करीब 1 लाख लोग इसे देखकर हैरान रह गए क्योंकि किसी ने कभी भी नहीं सोचा था कि ऐसी पानी वाली जहाज भी कभी बन सकती है, इसकी लंबाई 882 फुट 9 इंच और ऊंचाई करीब 175 फीट थी, साथ ही इसे बनाने में करीब 7.5 मिलियन डॉलर्स तक खर्च आया था जिसे कि अगर आज के पैसों से तुलना करें तो या करीब 145 मिलियन डॉलर्सके आसपास होगा।

हालांकि शिप के तैयार होने के बाद से ही इसपर डेकोरेशन का काम चलता रहा जिसमें के कुछ महीने और लग गए और फिर 2 अप्रैल 1912 को टाइटेनिक पूरी तरह से तैयार हो गई और इसी साल सफलतापूर्वक trail के बाद से यह अपने पहले सफर के लिए 10 अप्रैल 1912 को निकली और इस जहाज को इंग्लैंड के साउथॅम्प्टन से न्यूयॉर्क सिटी की दूरी तय करनी थी जो कि करीब 5507 किलोमीटर के आस पास थी और दोस्तों टाइटेनिक जब अपनी पहली यात्रा पर थी तब इस पर लगभग 2224 पैसेंजर और क्रू मेंबर सवार थे जबकि 3500 से भी ज्यादा लोगों को यह एक बार में ले जाने की क्षमता रखती थी, हालांकि दोस्तों कुछ लोग तो इस शिप से जाने के लिए आए ही नहीं थी उन्हें शिप में इसलिए बैठाया गया था क्योंकि वाइल्ड स्टार लाइन के दो अलग-अलग जहाजों में कोयले की कमी हो गई थी और टाइटैनिक में पर्याप्त जगह बस जाने की वजह से उन्हें शिप में शिफ्ट कर दिया गया था।

फिर 10 अप्रैल को अपने सफर की शुरूआत के बाद शुरू के 4 दिन तो सब कुछ बिल्कुल ठीक चल रहा था लेकिन 14 अप्रैल की रात को 11 बजकर 40 मिनिट पर सब बदल गया जब इंसानी इंजीनियरिंग का करिश्मा कुदरत के बनाए हुए का iceberg यानी कि पानी पर बहती हुई बर्फ की चट्टान से जा टकराया और इस टकराव की वजह से टाइटैनिक के निचले हिस्से में छेद हो गया और यह शिप धीरे-धीरे टूटने लगी जिसके बाद से ही जहाज में अफरा-तफरी मच गई और लोगों को बचाने के लिए लाइफ बोट का इस्तेमाल किया जाने लगा।

हालांकि टाइटेनिक पर सिर्फ 20 लाइफबोट मौजूद होने की वजह से सिर्फ 700 लोगों के आस पास की जानें बचाई जा सकी जबकि 1500 से भी ज्यादा लोगों की मृत्यु हो गई, साथ ही कुछ यात्रियों ने तो तैर कर अपनी जान बचानी चाही लेकिन पानी का टेंपरेचर -2 डिग्री होने की वजह से वह भी जीवित नहीं रहे हलाकि इतने कठिन समय में भी टाइटैनिक शिप के म्यूजिक ग्रुप मेंबर्स ने साहस का परिचय दिया और जहाज पर रुक कर लोगों को आखिरी पलों में खुश करने के लिए गाते रहे और फिर बर्फ की चट्टान से टक्कर के सिर्फ 2 घंटे और 40 मिनट बाद टाइटेनिक पूरी तरह से पानी में डूब गई और इसके बाद से समुद्र की सतह तक पहुंचने केलिए इसको करीब 15 मिनट लगे और इस तरह से उस समय इंसान की बनाई हुई सबसे बड़ी चीज चकनाचूर हो गए और इसके डूबने के साथ ही उन तमाम लोगों के घरवालों की उम्मीदें भी डूब गई क्योंकि जहाज में सफर कर रहे थे।

टाइटेनिक जहाज के डूबने के बाद उसके दो टुकड़े हो गए और ऐसा क्यों हुआ इसकी वजह आज भी लोग तलाश रहे हैं और दोस्तों यह जहाज भले ही 1912 में डूबा था लेकिन इतना मलबा ढूंढने में 73 साल का समय लगा और 1985 में जाकर इसे खोजा जा सका था साथ ही आपको बता दें कि टाइटैनिक के दोनों टुकड़े एक दूसरे से करीब 600 मीटर की दूरी पर स्थित है और दोस्तों अभी तक टाइटैनिक के ऊपर कई सारी फिल्में और डॉक्यूमेंट्रीज भी बन चुकी है लेकिन 18 नवंबर 1997 को रिलीज की गई मूवी ‘टाइटैनिक’ सबसे ज्यादा हिट रही है, और एक दिलचस्प बात यह है कि टाइटेनिक मूवी बनाने में जो खर्च आया था वह टाइटेनिक जहाज बनाने से भी 40% जाता था और टाइटैनिक शिप में 2 महीने की एक बच्ची को बचा लिया गया था जिसका नाम Millvina Dean था और Millvina की मृत्यु अभी हाल ही में 97 साल की उम्र में 31 मई 2009 को हुई और यही टाइटैनिक दुर्घटना से बची हुई आखिरी जिंदा इंसान थी।

दोस्तों टाइटैनिक इंजीनियरिंग का एक अद्भुत करिश्मा था लेकिन इस प्रकृति के सामने हमारी कहां चलने वाली उम्मीद करते हैं कि आपको टाइटैनिक की यह कहानी जरूर पसंद आई होगी आपका बहुमूल्य समय देने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद

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