एक सर्वे के हिसाब से मुंबई में रोज करीब 20000 नए लोग आते हैं , जिनमें ज्यादातर फिल्मी दुनिया को अपना ख्वाब बना कर आते हैं। मतलब पूरे साल में लाखों लोग हीरो बनने का सपना संजोए मुंबई में प्रवेश करते हैं लेकिन उनमें से कुछ गिने-चुने शख्स ही सफल हो पाते हैं। मैं आज बात करने जा रहा हूं बॉलीवुड के खिलाडी अक्षय कुमार की जिन्होंने कभी भी यह नहीं सोचा था कि वह एक्टिंग करेंगे और इस फिल्म इंडस्ट्री में एक स्टार बनेंगे लेकिन दोस्तों अगर कोई बंदा मेहनत और ईमानदारी से अपना काम कर रहा हो ना तो ऊपर वाला भी उसके साथ गलत नहीं होने देता।
आप में से बहुत कम लोगों को पता होगा कि अक्षय कुमार का वास्तविक नाम राजीव भाटिया है। उनका जन्म पंजाब के अमृतसर में हुआ था अक्षय का बचपन दिल्ली के चांदनी चौक की गलियों में बीता।
उनका मन ज्यादा पढ़ाई लिखाई में नहीं लगता था। इसी वजह से उन्होंने ट्वेल्थ के बाद पढ़ाई छोड़ दी और अपने खर्च के लिए छोटे-मोटे काम करने लगे।
अक्षय को बचपन से ही स्पोर्ट का काफी शौक था इसीलिए मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग के लिए वह बैंकॉक चले गए और वहां अपने खर्चों को चलाने के लिए उन्होंने शेफ की नौकरी भी कर ली। अपनी जरूरत पूरी करने के लिए उन्होंने कई छोटे-छोटे काम भी किए उसके बाद वहां से वह कोलकाता आ गए और एक ट्रैवल एजेंसी में भी काम किया। बाद में कोलकाता से अक्षय मुंबई पहुंचे जहां वह कुंदन के गहने बेचने लगे जोकि वह दिल्ली से लाया करते थे।
दोस्तों अभी तक वह बिना किसी लक्ष्य के काम किए जा रहे थे उन्होंने यह सोच लिया था कि बस उन्हें अपने मेहनत के बल पर पैसे कमाना है। भले ही वह छोटा काम हो या बड़ा मुंबई में कुंदन के गहने बेचने के साथ ही साथ वह शाम को कुछ बच्चों को मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग भी दिया करते थे उन्हीं बच्चों में से उनका एक विद्यार्थी जो एक फोटोग्राफर था। उसने उन्हें मॉडलिंग करने की सलाह दी और मॉडलिंग प्रोजेक्ट के लिए उनका नाम दे दिया। उनकी पर्सनालिटी को देखते हुए उन्हें सेलेक्ट भी कर लिया गया जिसके बाद 2 दिनों में उन्होंने अपना मॉडल शूट पूरा किया। जिसके उन्हें 20000 रूपए मिले उन्होंने सोचा कि मैं पूरे महीने काम करने के बाद मुश्किल से 5000 रूपए कमा पाता हूं और यहां 2 दिन ऐ.सी. कमरे में बिठाकर बिना किसी मेहनत के मुझे 20000 रूपए दिए गए। तभी उन्होंने डिसाइड किया कि कुछ भी करके मुझे इसी काम में अपनी लाइफ सेट करनी है उसके बाद वह छोटी-छोटी मॉडलिंग करते रहे।
अक्षय बताते हैं कि एक बार उन्हें मॉडलिंग के सिलसिले में बेंगलुरु जाना था। उस दिन वह सुबह उठने के बाद एक्सरसाइज कर रहे थे तभी फोन आता है कि आप बहुत ज्यादा लेट होने के कारण अपनी फ्लाइट मिस कर चुके हैं। जब तक वो कुछ बोलते तब तक फोन कट चुका था उन्हें कुछ भी समझ नहीं आ रहा था कि आखिर क्या हुआ उनके साथ फिर बाद में उन्हें पता चला कि जिस फ्लाइट से उन्हें बेंगलुरु जाना था उस फ्लाइट का समय सुबह का 7:00 बजे था। लेकिन वह इसे शाम का 7:00 बजे समझ रहे थे और इसी चक्कर में उनके हाथ से एक बड़ा प्रोजेक्ट निकल गया तो वह बहुत निराश हुए लेकिन उनके पिता ने उन्हें समझाया कि बेटा जो भी कुछ होता है वह अच्छे के लिए होता है।
उसी दिन वह शाम को अपना पोर्टफोलियो लिए नटराज स्टूडियो चले गए जहां प्रमोद जी के वहां काम करने वाला मेकअप आर्टिस्ट उन्हें मिला और उनका पोर्टफोलियो लेकर प्रमोद जी को दिखाया प्रमोद जी को अक्षय के फोटोस बहुत अच्छे लगे। फिर उन्होंने अक्षय को अंदर बुलाया और पूछा कि क्या तुम मेरे लिए फिल्म में एक छोटा सा काम करोगे अक्षय ने तुरंत हां कर दी प्रमोद जी ने तुरंत अक्षय कुमार को 5000 रूपए का साइनिंग अमाउंट दिया और अपनी फिल्म में ले लिया। इसी बात को याद करते हुए अक्षय कई मौकों पर कहते हुए दिख जाते हैं कि हम असल में कुछ खास नहीं करते हैं क्योंकि ऊपर वाला ही सबसे बड़ा स्क्रिप्टराइटर है कभी-कभी तो वह कमाल कर देता है। अगर आज उस मॉडलिंग प्रोजेक्ट के लिए उनकी फ्लाइट मिस नहीं होती तो उन्हें फिल्मों में काम करने का मौका शायद नहीं मिलता।
फिर उन्होंने 1909 में अपनी एक्टिंग को इंप्रूव करने के लिए एक्टिंग कोर्स भी किया जिसके बाद उन्हें एक फिल्म आज के लिए एक छोटा सा ऑफर मिला। जब फिल्म रिलीज हुई तो पता चला कि उनका रोल सिर्फ 7 सेकंड का था इस फिल्म के हीरो का नाम अक्षय था। उसी वक्त राजीव भाटिया को यह नाम बहुत पसंद आया और उन्होंने अपना नाम बदलकर उस फिल्म के हीरो के नाम पर अक्षय रख लिया तो इस तरह राजीव भाटिया अक्षय कुमार बन गए। 1991 की फिल्म सौगंध के साथ ही अक्षय कुमार ने बॉलीवुड में अपनी लीड रोल की शुरुआत की। फिर बाद में 1992 में उन्होंने एक सफल फिल्म खिलाड़ी में अभिनय किया। बस फिर उसके बाद से उन्होंने कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा और 22 – 23 सालों के अंदर ही अंदर उन्होंने लगभग 130 से ज्यादा फिल्में कर दी और आज वह बॉलीवुड के स्टार खिलाड़ी हैं दोस्तों आप अपने परिश्रम और लगन से अपना काम करते रहिए क्योंकि परिश्रमी व्यक्ति को ऊपर वाला कभी निराश नहीं करता उसका फल वह देर ही सही लेकिन देता जरूर है।