Azim Premji Biography in Hindi | अजीम प्रेमजी की जीवनी
दोस्तों आज मैं बात करने जा रहा हूं दुनिया के सबसे धनी व्यक्तियों में शामिल भारत के बिल गेट्स कहे जाने वाले विप्रो लिमिटेड कंपनी के चेयरमैन अजीम प्रेमजी की जो आज के समय में भारत के तीसरे और विश्व के 72 वे सबसे धनी व्यक्ति हैं। दोस्तों अजीम प्रेमजी ने अपने पिता की तेल और साबुन बनाने वाली छोटी सी कंपनी को आज इस मुकाम पर ला खड़ा किया है जिससे करीब 181000 लोगों की रोजी-रोटी चलती है। इसके अलावा अजीम प्रेमजी को भारत का सबसे बड़ा दानवीर कहा जाता है क्योंकि वह अपनी आमदनी का एक बड़ा हिस्सा देश के लिए दान कर देते हैं उन्होंने अजीम प्रेमजी फाउंडेशन नाम का एक ट्रस्ट भी खोल रखा है जो भारत में एजुकेशन को बढ़ावा देने के लिए करोड़ों रुपए खर्च करता है। चलिए दोस्तों इन सभी बातों का जिक्र मैंने आगे इसी वीडियो में डिटेल में किया है लेकिन उससे पहले हम अजीम प्रेमजी की लाइफ को शुरू से जानते हैं।
अजीम प्रेमजी का जन्म 24 जुलाई 1945 को मुंबई के मुस्लिम परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम मोहम्मद हाशिम प्रेमजी था जो खाने में प्रयोग की जाने वाली तेल और साबुन का बिजनेस करते थे। जिस साल अजीम का जन्म हुआ उसी साल उन्होंने महाराष्ट्र के जलगांव जिले में वेस्टर्न इंडियन वेजिटेबल प्रोडक्ट लिमिटेड की स्थापना की। अजीम प्रेमजी के पैदा होने के सिर्फ 2 सालों के बाद अपना देश आजाद हुआ लेकिन देश विभाजन की मांग ने आजादी के जश्न को खत्म कर दिया। हिंदू मुस्लिम दंगे शुरू हो गए सांप्रदायिक नफरत और हिंसा के बीच बहुत सारे मुस्लिम परिवार अपनी सरजमीं छोड़ पाकिस्तान रवाना हो गए।
चुकी अजीम प्रेमजी का परिवार भी एक मुस्लिम कौम से था इसीलिए पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना ने उन्हें पाकिस्तान आने का न्योता दिया। करीबी रिश्तेदारों ने भी सुझाव दिया कि हिंदुस्तान में गैरों की बीच रह कर क्या करोगे पाकिस्तान चले जाओ, यहां अपनी कौम के लोगों के बीच में रहने का मौका मिलेगा लेकिन हाशिम प्रेमजी ने भारत यानी अपनी सरजमीं पर रहने का फैसला किया जिसके बाद अजीम प्रेमजी ने 12वीं तक की पढ़ाई मुंबई के सेंट मैरी स्कूल से की। 12वीं की पढ़ाई पूरी होने के बाद उनके पिता चाहते थे कि बिजनेस को अच्छी तरह से संभालने के लिए बेटा अमेरिका जाकर पढ़ाई करें।
इसीलिए उन्होंने अजीम का एडमिशन अमेरिका के स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में करवा दिया, जिसके बाद अजीम प्रेमजी को एक नया माहौल मिला उन दिनों अमेरिका के लोगों के लिए कंप्यूटर बहुत आम चीज होती जा रही थी लेकिन भारत में कंप्यूटर का बिल्कुल भी चलन नहीं था। अमेरिका पहुंचकर पहली बार उन्होंने आईटी के महत्व को जाना और फिर सुनहरे भविष्य के सपनों के साथ वह पढ़ाई में जुट गए, लेकिन तभी 1966 में जब वे सिर्फ 21 साल के थे अचानक उनके पिता की मृत्यु हो गई जिसकी वजह से उन्हें पढ़ाई बीच में छोड़ कर भारत वापस लौटना पड़ा।
जब वे भारत वापस आ गए तब उन्होंने अपने पिता का बिजनेस संभालने का मन बनाया, लेकिन लोगों ने कहा कि विदेश में पढ़ाई की है, तेल साबुन के बिजनेस में मत पड़ो बेहतर है, अच्छे खासे सैलरी और अच्छी सुविधाओं वाली नौकरी कर लो लेकिन इन सभी बातों को अनसुना करते हुए अजीम प्रेमजी ने अपने पिता के कारोबार की कमान थाम ली। आगे चलकर कुछ ही समय बाद जो लोग अजीम प्रेमजी को इस बिजनेस में घुसने के लिए मना कर रहे थे वही लोग उनके काम करने के अंदाज को देखकर यह कहने लगे कि बेटा तो पिता से भी ज्यादा तरक्की करेगा।
अजीम प्रेमजी ने कुकिंग आयल और साबुन के अलावा भी कंपनी में बहुत सारे और भी उत्पाद जोड़ दिए और फिर 1977 में कंपनी का नाम बदलकर विप्रो प्रोडक्ट लिमिटेड कर दिया। उन दिनों अपना देश आईटी के क्षेत्र में काफी पीछे था और अमेरिका से पढ़ाई करके आए अजीम प्रेमजी को इस क्षेत्र में एक अच्छा भविष्य नजर आ रहा था इसीलिए उन्होंने इसी क्षेत्र में कंपनी के विस्तार का फैसला किया। जिसके बाद 1980 में उन्होंने अपनी कंपनी का नाम बदलकर विप्रो लिमिटेड कर दिया और फिर उनकी कंपनी अमेरिका के सेंटिनल कंप्यूटर कॉर्पोरेशन के साथ मिलकर मिनी कंप्यूटर बनाने लगी और फिर देखते ही देखते कारोबार बढ़ता चला गया और विप्रो देश की सबसे बड़ी कंपनी बन गई।
यही कारण था कि 1999 से लेकर 2005 तक अजीम प्रेमजी भारत के सबसे धनी व्यक्ति रहे और सबसे बड़ी बात कि उन्होंने धन दौलत के साथ-साथ सम्मान भी कमाया। अपनी कंपनी के कर्मचारियों के लिए वह दुनिया के सबसे अच्छे बॉस तो आम लोगों के लिए सबसे अच्छे इंसान साबित हुए। 2001 में अजीम प्रेमजी ने अजीम प्रेमजी फाउंडेशन की स्थापना की। इसका मकसद गरीब और बेसहारा लोगों की मदद करना है। ये फाउंडेशन कई राज्यों में सरकार के साथ मिलकर शिक्षा के क्षेत्र में काम करता है।
जून 2010 में दुनिया के 2 सबसे बड़े दौलतमंद बिल गेट्स और वॉरेन बफे ने द गिविंग प्लेज अभियान शुरू किया। यह अभियान दुनिया के अमीर लोगों को इस बात के लिए प्रेरित करता है कि भी अपनी संपत्ति का कुछ हिस्सा परोपकार पर खर्च करें। अजीम प्रेमजी इस अभियान में शामिल होने वाले पहले भारतीय बने। इसके अलावा साल 2013 में उन्होंने अपनी दौलत का 25 पर्सेन्ट दान में दे दिया। अजीम प्रेमजी का कहना है कि अगर ईश्वर ने हमें दौलत दी है तो हमें दूसरों के बारे में जरूर सोचना चाहिए।
आपका बहुमूल्य समय देने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।