अकबर (Akbar) के राज्य में हरिनाथ नाम का एक व्यक्ति रहता था। हरिनाथ एक प्रतिभाशाली चित्रकार था। वह चित्र बनाकर अपना जीवन व्यतीत करता था। क्योंकि वह चित्रकारी में बहुत अच्छा था, इसलिए वह पूरे राज्य में प्रसिद्ध था। दूर दराज के क्षेत्रों के अमीर लोग उससे अपना चित्र बनाने का आग्रह करते थे। हरिनाथ एक चित्र बनाने में बहुत समय लगाता था, क्योंकि वह पहले उसकी पूरी जानकारी इकट्ठी करता था इसी कारण उसके चित्र जीवित प्रतीत होते थे। परंतु वह बहुत पैसे नहीं कमा पाता था और कमाया हुआ अधिकतर धन चित्र बनाने के लिए कच्चे माल की खरीद में खर्च हो जाता था।
एक दिन एक अमीर व्यापारी ने हरिनाथ को एक चित्र बनाने के लिए आमंत्रित किया। हरिनाथ इस उम्मीद से व्यापारी के घर गया कि यह उसे उसके काम के अच्छे पैसे दे देगा। वह कुछ दिनों के लिए वहां रूका और उसने व्यापारी को अपनी चित्रकारी से संतुष्ट करने के लिए कड़ी मेहनत की।
किन्तु व्यापारी एक कंजूस व्यक्ति था। जब कुछ दिनों की कड़ी मेहनत के बाद चित्र पूरा हो गया, तब हरिनाथ उसे व्यापारी के पास ले गया।
कंजूस व्यापारी ने मन में सोचा, ”यह चित्र तो वास्तव में बहुत अच्छा है किन्तु यदि मैंने इसकी सुन्दरता की तारीफ करी, तो मुझे हरिनाथ को सोने के सौ सिक्के अदा करने होंगे।“ इसलिए व्यापारी ने चित्र में गलतियां ढूंढनी शुरू कर दी। उसने कहा, ”तुम ने इसमें मेरे बाल सफेद कर दिये और मुझे ऐसा दिखा दिया कि मैं बूढ़ा हो गया हूं। मैं इसका भुगतान नहीं करूंगा।“
हरिनाथ हैरान रह गया। वह नहीं जानता था कि व्यापारी उसे चित्रकारी के पैसे नहीं देना चाहता था, इसलिए चित्र में गलतियां ढूंढ रहा है। हरिनाथ ने कहा, ”मेरे मालिक! यदि आप चाहें, तो मैं यह चित्र दुबारा बना देता हूं। इसलिए उसने सफेद बालों को ढक दिया। किंतु व्यापारी ने जब दुबारा बने चित्र को देखा, तो वह उसमें गलतियां निकालने लगा। उसने कहा, ”इसमें तो मेरी एक आंख दूसरी आंख से छोटी है। मैं तुम्हें इस बकवास चित्र के लिए कोई भुगतान नहीं करूंगा।“
हरिनाथ ने फिर से चित्र को सुधारने की पेशकश की चित्र बनाने के लिए कुछ समय मांगकर वहां से चला गया। हर बार हरिनाथ व्यापारी के पास चित्र लेकर जाता, परंतु वह उसमें और गलतियां दिखाने लगता। अंत में जब हरिनाथ व्यापारी से थक गया तब वह बीरबल (Birbal) के पास सहायता मांगने गया।
बीरबल (Birbal) ने हरिनाथ से कहा कि वह व्यापारी को बीरबल (Birbal) के घर आने के लिए निमंत्रण दे आए। व्यापारी के घर आने पर बीरबल (Birbal) ने व्यापारी से कहा, ”यह आदमी कहता है कि इसने जैसा तुम चाहते थे वैसा जीवंत चित्र बनाकर दिया है। किंतु वह तुम्हें पंसद नहीं आया।“
व्यापारी ने कहा, ”सही कहा! यह चित्र कहीं से भी मेरे जैसा नहीं लगता।“
बीरबल (Birbal) ने हरिनाथ से कहा, ”ठीक है हरिनाथ! तुम इस आदमी का दूसरा चित्र बनाओ जैसा कि तुमको पंसद हो। फिर वह व्यापारी को ओर घूमा और बोला, ”कृपया आप कल आना और अपना चित्र प्राप्त कर लेना। किंतु आपको एक हजार सोने के सिक्के अदा करने होंगे, क्योंकि मैंने देखा है कि हरिनाथ जब कोई चित्र बनाता है तो उसमें कोई गलती नहीं होती।“ व्यापारी ने सोचा चित्रकार एक दिन में जो चित्र बनाएगा, उसमें बहुत गलतियां होंगी। मुझे गलतियां ढूंढने में ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ेगी।
अगले दिन जब वह व्यापारी आया, तो बीरबल (Birbal) उसे एक कमरे में ले गया। कमरे में एक चित्र रखा था। वह कपड़े से ढका हुआ था। जब व्यापारी ने कपड़ा हटाया तो वह आश्चर्यचकित रह गया। यह एक चित्र नहीं बल्कि शीशा था। बीरबल (Birbal) ने कहा ”यह बिल्कुल आपकी तरह है। मुझे उम्मीद है कि आपको इसमें कोई गलती नहीं मिलेगी।“
व्यापारी ने महसूस किया कि वह बीरबल (Birbal) से हार गया है। उसे चित्रकार को चित्र के एक सौ सोने के सिक्के के अलावा एक हजार सोने के सिक्के शीशे के लिए भी देने पड़े।