Google Company Information in Hindi | History of Google in Hindi

Google Company Information in Hindi | History of Google in Hindi

Google Company Information in Hindi: इस कंपनी की शुरुआत 4th september 1998 में लैरी और सर्जी के एक दोस्त सुसान गोज की गैराज में हुई थी। सुसान इस कंपनी की पहली इम्प्लॉई थीं और अब यूट्यूब की सीईओ हैं। गूगल का मुख्यालय माउंटेन व्यू कैलिफोर्निया में हैं जिसको लोग गूगल प्लेक्स के नाम से भी जानते हैं। दोस्तों एक बड़ी रोचक बात ये है कि उस वक़्त मार्केट में याहू पहले से मौजूद था और सभी लोग उसी को इस्तमाल कर रहे थे। गूगल के फाउंडर्स लैरी पेज और सर्जी ब्रिन ने याहू के पास अपने सर्च इंजीन algorithm को सिर्फ वन मिलियन डॉलर में बेचने को तैयार थे क्योंकि उस वक्त उन्हें ऐसा लग रहा था कि उन्हें बिजनेस नहीं करना चाहिए बल्कि स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में अपनी पढ़ाई पर ध्यान देना चाहिए जैसा कि आमतौर पर लोग सोचते हैं लेकिन याहू ने इस ऑफर को ठुकरा दिया। 2002 में याहू को फिर से मौका मिला, गूगल को फाइव बिलियन डॉलर में खरीदने का मगर इस बार भी याहू थ्री बिलियन डॉलर से ज्यादा देने को तैयार नहीं था जोकि शायद याहू की सबसे बड़ी गलती साबित हुई क्योंकि आज उसी गूगल की की कुल संपत्ति 800 बिलियन डॉलर से भी ज्यादा है और यह सबसे बड़ी सर्च इंजन है। जबकि याहू को इस्तेमाल करने वाले लोग बहुत कम हो गए।

गूगल को सबसे पहली फंडिंग सन माइक्रोसिस्टम्स के को फाउंडर एंडी पैरट अशीम के द्वारा 100 हजार डॉलर्स की मिली थी। फिर उसके बाद 1998 में एमेजॉन डॉट कॉम के फाउंडर जेफ बेजॉस और स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी के कंप्यूटर साइंस के प्रोफेसर डेविड चैरिटी ने भी इसमें इन्वेस्ट किया। 19th अगस्त 2004 को गूगल ने पहली बार सार्वजनिक स्टॉक एक्सचेंज पर अपनी कंपनी को पब्लिक किया। यानि की कोई भी अब कंपनी के शेयर खरीद कर इसको फंडिंग दे सकता था और इसका हिस्सेदार बन सकता था। गूगल एक सर्च इंजन होने के साथ साथ एक एडवरटाइजमेंट का प्लैटफॉर्म भी है जो इसकी आमदनी का मुख्य साधन है |

History of Google in Hindi
History of Google in Hindi

 

अप्रैल 2003 में google एप्लाइड semantics नाम की कंपनी को खरीदा। ये कंपनी ऑनलाइन प्रचार से जुड़े सॉफ्टवेयर्स बनाने में माहिर थी। गूगल एडसेंस की टेक्नोलॉजी भी अप्लाइड semantics कंपनी के द्वारा ही बनाई गई थी। जुलाई 2005 में गूगल ने दुनिया में सबसे अधिक मोबाइल्स में यूज किए जाने वाले ऑपरेटिंग सिस्टम एंड्रायड को 50 मिलियन डॉलर्स में खरीद लिया। फिर 13th नवंबर 2006 में गूगल ने यूट्यूब को भी 1.65 बिलियन डॉलर्स में खरीदा जो कि आज नंबर वन वीडियो शेयरिंग साइट है| एंड्रायड फोन्स में मौजूद प्ले स्टोर के जरिए गूगल ने एक ऐसा प्लैटफॉर्म बना दिया है जहां लोग अपनी बनाई अप्लीकेशन को दूसरों के इस्तेमाल के लिए अपलोड कर सकते हैं और अगर वह अप्लीकेशन चल जाए तो डेवलपर्स को ऐड के माध्यम से या उस ऐप की खरीद से प्रॉफिट होता है।

दोनों में ही गूगल अपना हिस्सा काटकर डेवलपर्स को पैसे देती है। यही मोबाइल से इसकी आमदनी का जरिया है। एंड्रायड एप्लिकेशंस में प्रचार addmop के जरिए आते हैं जिसे गूगल ने नवंबर 2009 में 750 मिलियन डॉलर्स में खरीदा था। 19th sep 2017 को गूगल ने मोबाइल से पेमेंट करने वाले app बनाई जिसे हम तेज़ के नाम से जानते हैं। इसका नाम भी हिन्दी है और यह खासतौर पर इंडियन मार्केट के लिए ही बनाई गई है। अगस्त 2015 में गूगल ने घोषणा की कि वह अपने सारे बिजनेस को एक नई कंपनी अल्फाबेट नाम से चलाएगी |

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ये कंपनी 2nd अक्टूबर 2015 से अस्तित्व में आई और यह गूगल की पैरंट कंपनी है जिसमें लैरी पेज सीईओ हैं और सर्जी प्रेसिडेंट हैं जिसमें इस समय 80 हजार से भी ज्यादा इम्पलाइज काम करते हैं। जिस समय लैरी गूगल का सीईओ पद छोड़कर अल्फाबेट के सीईओ बने उसी समय गूगल का अगला सीईओ सुंदर पिचाई को बनाया गया। waymo ऑटोनोमस कार है जिसको गूगल की पैरंट कंपनी अल्फाबेट ने डेवलप किया है। ये एक इलेक्ट्रिक कार है जो बिना ड्राइवर के चलती है। इसकी टेस्टिंग भी बहुत बार की जा चुकी है और आने वाले तीन सालों में waymo हमारी सड़कों पर भी दिखाई दे सकती है। 2010 में गूगल ने नेक्सस वन रिलीज किया जोकि गूगल के खुद के ब्राण्ड का फोन था। आजकल तो ज्यादातर मोबाइल्स में एंड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम है जिसमें गूगल के सारे सॉफ्टवेयर्स पहले से ही होते हैं। देखा जाए तो एंड्रायड मोबाइल

में ज्यादातर इस्तमाल गूगल के सॉफ्टवेयर्स का ही होता है। आजकल के ज़माने में गूगल के बनाये प्रोडक्ट्स के बिना लोगो का एक दिन में नहीं कटता। फिर चाहे वो सर्च इंजन हो मैप हो यूट्यूब हो या आपके फोन में मौजूद एंड्राइड | तो दोस्तों यदि गूगल की कहानी अगर आपको हमारा प्रयास पसंद आ रहा हो इस आर्टिकल को अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करे।

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